स्वार्थ के रिश्तों से जब ऊब जाता है दिल..
जब समाज के नियमों के तंग आ जाता है दिल..
जब कोई अपना नहीं ढूंढ पाता है दिल..
किसी के काँधे पर सर रखकर,
जब सुकून से नही रो पाता है दिल..
जब थक जाते हैं खुद से लड़ते लड़ते,
जब थक जाते हैं खुद में मरते मरते,
जब अपना वजूद फिजूल लगने लग जाता है,
तब जाकर खुद को मिटाने का ख़्याल आता है..
पर जाने कितनी बार दिल हारा होगा,
जाने कितनी बार हिम्मत टूटी होगी,
खुद के अंदर यूँ दम तोड़ती ज़िन्दगी को,
जाने कितनी बार सम्भाला भी होगा..
पर जब थक जाते हैं तन्हा रातों को सुलाते सुलाते,
यूँही दिल को रुलाते रुलाते,
जब थक जाते हैं किसी अपने को बुलाते बुलाते..
तब मुश्किल लगता है हर वक़्त का यूँ पल पल में गुजरना..
तब आसान सा लगता है यूँ ज़िन्दगी को आसान करना..
तब आसान लगता है खुद को यूं बेनिशाँ करना..
तब आसान लगता है एक चैन की नींद सो जाना..
#आत्महत्या ...