रात्रि रचना
शर्म मिली , हया मिली
कुछ कुछ बेइज्जती भी,
इतना सब दिया आपने
मोहब्बत में।
हस्ते रहे, सेहते रहे
हर रंज-ए-गम
होठों पे मुस्कान के
साथ आपकी सोहबत में।
दुनिया तबाह, वक्त बेपरवाह
हुआ है हम पर,
मेहरबां आप भी गए छोड़
बेपनाह।
मंदिर मस्जिद, सब भगवान कैद है ,
हम ने खुले रखे है
दिल आपकी इबादत में।