शीघ्र ही वो आ जाता है
लौट के ना जाता है
इतना घुलनशील है कि
घुल के रह जाता है
इस रंगहीन जल में
मेरी आंख में पलक में
सब गुलाबी हो जाता है
प्रेम सा त्वरित भाव
गालों पर छा जाता है
सूरज की किरणों सा
तेजी से दौड़ते हिरनों सा
बारिश के बाद की घास सा
सूखी लकड़ियों में
पकड़ती आग सा....
फ़ौरन अस्तित्व में आ जाता है
कैसे हो इतनी शीघ्रता दिखाता है?

#शीघ्र

Hindi Poem by मिन्नी शर्मा : 111466128
Nish 4 year ago

Bahot khub..

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