प्यार का नगमा गुनगुनाती हूँ,
तुझे याद कर,
हर दम मुस्कुराती हूँ
नील गगन में उड़ते पक्षी
बहती नदी की धारा
लगता है ऐसे,मैं भी जैसे
इनके जैसी बन जाऊं
उड़ जाऊँ मैं नील गगन में
या बन जलधारा ,
मैं बह जाऊँ
या मस्त हो धरा पर ही
मोरनी जैसी इतराऊँ
भरूँ कुलांचें हिरणी जैसी
हर पल मधुर गीत मैं गाऊँ
प्यार का मौसम बड़ा सुहाना
बस होठों पर यही तराना
प्यार का नगमा,
है गुनगुनाना
मधुर काल से बाहर न आना
जिंदगी का बस,
यही फसाना।।