Quick/त्वरित
न्यायालय में था वह कैदी
हथकड़ियों में जड़ा हुआ।
जज से करने प्रेम निवेदन
की ज़िद पर ही अड़ा हुआ।
मामला था तो यह संगीन,
मगर सब खबरें थीं रंगीन।
कोई कहता उसको पागल,
कोई कहता कि है कुछ बात।
और, पैरवी होती कैसे?
कोई वकील नहीं था साथ।
अंतिम सुनवाई के दिन था,
सारा परिसर भरा हुआ,
सभी देखना चाह रहे थे,
क्या है आरोपी डरा हुआ।
सुनवाई भी क्या होनी थी
कहां कहीं था पैरोकार?
इतने में अपनी कुर्सी पर,
बैठ गईं आ कर सरकार।
त्वरित फैसला आया ऐसा,
सब करते थे जय-जयकार।
अद्भुत है यह प्रेम निवेदन,
इसे मैं करती हूं स्वीकार।।