रात्रि रचना
चलो आज थोड़ा सा खाब देख लूं।
जितना मिला है
हिसाब देख लूं।
सवाल तो हैै कई सारे,
सपनो में थोड़े जवाब देख लूं।
चाहता तो था बहोत
कुछ पाना
पर कुछ मिला कुछ
रह गया बाकी,
उम्मीद फिर भी हिम्मत
है फिर भी,
बस और ज़्यादा मेहनत
ही चाहिए।
क्या डर चलो अब
करते है शुरू,
देता है क्या वो
शबाब देख लूं।
चलो आज .....