#देह_की_दहलीज_पर
कामिनी, शालिनी, सुयोग... तीनों की अपनी दुनिया, अपने सपने, अपने सुख और अपने दुःख... एक ही सोसाइटी में रहते हुए ये सब मिलते भी हैं और एक सम्मोहन में डूबने लगते हैं... क्या और कौन सही है या गलत.... धीरे धीरे सबके तन मन की परतें खुल रही हैं... कब क्यों और कैसे..? इन सवालों का जवाब तलाशती कहानी रोचक तरीके से आगे बढ़ रही है... आप भी पढ़िए.....
Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 13" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
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