मुकुल की उपेक्षा से कामिनी समझ नहीं पा रही थी कि वह ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ? उसने अपनी दोस्त नीलम से इसका जिक्र किया। कामिनी की परेशानी नीलम को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है। वहीँ अरोरा अंकल आंटी हैं जो इस उम्र में भी एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं। रविवार के दिन राकेश सुबह से मूड में था और नीलम उससे बचने की कोशिश में। एक सितार के दो तार अलग अलग सुर में कब तक बंध सकते हैं। मुकुल अपनी अक्षमता पर खुद चिंतित है वह समझ नहीं पा रहा है कि उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है ? कामिनी की सोसाइटी में रहने वाला सुयोग अपनी पत्नी प्रिया से दूर रहता है। ऑफिस से घर आनेके बाद अकेलापन उसे भर देता है। उसी सोसाइटी में रहने वाली शालिनी अपने प्रेमी अभय की मौत के बाद अकेले रहती है। वह अपने आप को पार्टी म्यूजिक से बहलाती है लेकिन अकेलापन उसे भी खाता है।
Kavita Verma लिखित कहानी "देह की दहलीज पर - 7" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19885225/deh-ki-dahleez-par-7