जब भी आती उनकी पाती,
तब फिर वह कैसे रुक पाती?
सारे घर को लीपा पोता,
हरदम ऐसा ही था होता।
कल जब फिर आई थी चिठ्ठी,
वह आएंगे परसों,
हर पल उसको लगता जैसे,
बीत रहे हों बरसों।
अकुलाई बैठी दरवाजे,
सुनती थी हर आहट,
पलट-पलट कर निरख रही थी,
घर की नई सजावट।
तभी किसी ने पीछे से आकर,
मूंदी उसकी आंखें,
जड़़ सी हो गई देह,
रुक गई आती जाती सांसें।।
#Ornamental