#आज की प्रतियोगिता "
# विषय .सजावटी "
** कविता **
जीवन सजावटी ,अच्छा नहीं लगता ।
जीवन परोपकारी ,ही अच्छा लगता ।।
सजावटी केवल ,प्रंशसा देता ।
परोपकार तो ,अमरता देता ।।
जीवन को ,सुगंधित बनाता ।
सजावटी केवल ,वाहवाही लुटता ।।
सजावटी चेहरा ,एक दिन जल जाता ।
परोपकार दिन दिन ,निखरता ।।
सजावटी दिखावा ,ही लगता ।
परोपकार आँखों का ,तारा बनाता ।।
जीवन में फूल की ,तरह महकना सीखें ।
कहता बृजेश जीवन में अंगारों की तरह ,जलाना न सीखें ।।
बृजमोहन रणा (बृजेश ) ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।