Hindi Quote in Poem by रनजीत कुमार तिवारी

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गजब की विडम्बना है,मानव जाति का इस संसार में।

भ्रष्टाचार खुद ही फैलाते, भ्रष्टाचार भारत से मिटाते।।

कड़वा बचन बोलने के आदी,मधुर बचन का उपदेश सुनाते।।

गजब की विडम्बना है,.................

दुसरे को संकट में देखें अवसर का है लाभ उठाते।

अपनी बारी आते ही, लोगों से उम्मीद जताते।।

मां बाप से प्रेम नहीं है, दुनिया से है प्रेम जताते। 

गजब की विडम्बना है,मानव का इस संसार में।।

जाती वाद का जहर फैलाकर,समाज सेवक कहलाते।। मानवता को कलंकित करते हैं, धर्म का ये पाठ पढ़ाते। सोचा इन्हें भी याद दिला दूं,कुछ भी नहीं है साथ जाते।

दुसरे को परेशान देखकर, खुशी के मारे नहीं अघाते।।

दुसरो का सम्मान नहीं दिल में,वो सम्मान कहां है पाते।

खुद कितने भी बुरे हो,औरों की बुराई करते नहीं अघाते।।

गजब की विडम्बना है,मानव का इस संसार में.....

                                           धन्यवाद आभार
रनजीत कुमार तिवारी
                             

Hindi Poem by रनजीत कुमार तिवारी : 111458814
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