जिवन अनमोल है, यूं व्यर्थ न गवाइए।
अपने कुछ पल मानवता में भी लगाइए।।
धरा है पाप से सहमी,आओ मिलकर उद्धार करें।
मातृभूमि की रक्षा करें,ऐसा मन में सब बिचार करें।।
हवा हो गयी है दुषित, पेड़ों को हम काट रहें।
पानी में है फैला जहर,मानव पिडा काट रहे।।
नफरत फैली है जग में, ऐसे जैसे कोई महामारी।
हिन्दू मुस्लिम करके नेताओं ने भी बना ली फुलवारी।।
मानव के रूप में जन्म लिया तो अपने को कृतार्थ करें।
देश के गद्दारों को आओ मिलकर परित्याग करें।।
देश के बिर सपुतो के आत्मा,जब कोई सवाल करें।
शर्म से ना झुके शिश, ऐसा कुछ कार्य करें।
आओ बच्चों को भी संस्कृति से परिचित करवाते हैं।
खत्म हो रही संस्कारों को फिर से मिलकर बचाते हैं।।
जबतक अन्न शुद्ध नहीं मिलेगा ,यही रहेगा परिणाम।
खाद्य पदार्थों को खाकर मरता रहेगा इन्सान,मरता रहेगा इन्सान।।
धन्यवाद
आपका रनजीत कुमार तिवारी📝