#Nest is best option in current scenario..!!!
My Painful Poem...!!!
सिलसिला-ए-वाइरस में हर इन्सान
यारों बेकार-ओ-नाकारा-सा बन गया
इन्सानी हस्ती-ए-कश्ती-ए-जीदगीं का
जानिब-ए-सफ़र बेदख़ल-सा बन गया
ठहराव-औ-पथराव हर मजबूर-मज़दूर
का मानो रोज़ाना मसला-सा बन गया
मरहला-ओ-मशवरा ज़िंदा-ओ-मुर्दा
लाशों का,हर चेनल का मामूर बन गया
सब्र-ओ-ख़ौफ़-ओ-ग़मों से उलझना
हर दाकतर-ओ-नर्स का काम बन गया
मारपीट-ओ-दंगा-फ़साद बिलावजह
कड़ी-धूपमें वर्धिवालोका तनाव बन गया
मौक़ा-ए-वारदात सुनते थे ये अल्फ़ाज़
कभी क्राईम चैनलोंमें आज आम बन गया
शक्ति-ए-भक्ति मिन्नत-ओ-दया-अर्चना
आज सब बे-मायने बे-असर-सा बन गया
मौत-ओ-दहशतगर्दी से आँख-मिचौली
आज हर दूसरे घर🏘का रुझान बन गया
या रब कब तक तड़पेगा क़ौम-ए-इन्सान
ख़ौफ़ज़दा शब की सहर ख़्वाब बन गया
प्रभुजी अल्प-ओ-कल्प ही सही हमारी
प्रार्थना क़बूल करना तेरा फ़र्ज़ बन गया
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