सरहद..!!
जेठ की दुपहरी,
लेखू, रोते हुए अपनी मां गोविंदी के पास गया और बोला
मां , भाभी ने खाना नहीं दिया।
खाना नहीं दिया तो खुद परोस के खा ले , नहीं तो जीजी से बोल, वो परोस देगी, गोविंदी बोली।
उधर से मीरा बोली,मां खाना नहीं है, भाभी ने कम बनाया था,चार रोटी बची तो मैंने खा ली।
अरे, करमजली दो रोटी भाई के लिए नहीं छोड़ सकती थीं गोविंदी गुस्से से बोली।
मां मुझे भूख लगी थी, सुबह सिर्फ दो रोटी खा के उठ गई थी, मीरा बोली।
और निगोड़ी तेरी भाभी कहां मर गई, गोविंदी ने पूछा।
अरे,मां पीने का पानी खतम हो गया था तो भाभी भरने गई है,मीरा बोली।
इतने में विमली पानी भरकर ले आईं,एक घड़ा सिर पर और एक घड़ा बगल में लिए हुए।
दो कोस ही तो जाना पड़ता है,पानी भरने, कहीं इतनी देर लगती है?कभी कोई काम जल्दी कर लिया कर, गोविंदी बोली।
इतने में जोर से लेखू भागते हुए आया और विमली को जोर का धक्का लगा और विमली गिर गई और साथ में घड़े भी टूट कर गिर गये।
एक काम ढंग से नहीं होता,नये घड़े तोड़ दिए, गोविंदी बोली
अब जा खाना बना,लेखू भूखा बैठा है।
लेकिन, अम्मा बिल्कुल पानी नहीं है,खाना कैसे बनाऊं? विमली बोली।
जा बगल वाली काकी से मांग ला, गोविंदी बोली।
और वो काकी के पास गई और झट से एक घड़ा पानी ले आई और रोटी बनाने के लिए जैसे ही आटा निकालने को थी कि याद आया कि आटा तो सुबह खतम हो गया था तभी तो खाना कम पड़ गया और वो झट से गेहूं निकाल के आटा पीसने बैठी और आटा पीसकर चूल्हा जला रोटी बनाई और आलू भूनकर भरता बना ,देवर को खाना दिया।
और चली फिर से भरी दोपहरी में पानी भरने।
उसकी जिंदगी ऐसे ही चल रही है,पति हर छै महीने में पन्द्रह दिन की छुट्टी लेकर आ जाता है,तब भी विमली उसके आने पर ऐसे लगी रहती है ,पति को तो हर छै महीने में पन्द्रह दिनो की छुट्टी मिल जाती है लेकिन विमली का क्या? पति फौज में है वो उधर सरहद में देश की रक्षा के लिए लगा रहता है लेकिन विमली किस सरहद की रक्षा के लिए लगी रहती है, पता नही और कब तक लगी रहेगी।
सरोज वर्मा..!!