अंदाज़ ए बयान बदल जाता है खुद का,
एक बार किसी को दिल में बसा के तो देखो,
ख्वाबों की दुनिया के भी बहुत लुफ्त हैं,
एक मीठे ख़्वाब किसी के साथ सजा के तो देखो,
जो दिल घायल ही ना हो फिर वह दिल क्या,
नज़रों के तीर से कभी घायल होकर तो देखो,
कोई रात तो हो जो गुज़रे बेकरारी में सनम की,
उस रात की खिलती सुबह की आस लगा के तो देखो ।
सूरज की रोशनी से ही तो बनती है चांदनी,
किसी की इश्क़ की रोशनी में नहा के तो देखो ।