ना सक्ल-ओ-सुरत देखी, ना देखा आईना,
देखा तो बस देखा, दिल ए यार एक आईना
हसीन चहेरा नूर से भरपूर, नजा़कत वाला
फूलों पर देखा, भीगा शबनमी दिल आईना
बूंद बूंद टपकता, मौसमे ईश्क बारिसाना
बरसता दिल ए नूर, बन जाता गौहर आईना
तरसता पपीहे की तरह, प्यासा दिल दिवाना
पीता शहद सा मीठा, लफ्ज़ ए दिल आईना
मिसाल क्या दे, हुश्न हकीकी गज़ब है ढाया
आबे-हयात वोह.चाँद, महोबत ए दिल आईना