Hindi Quote in Poem by Maitri Barbhaiya

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बनने निकला था आदमी होशियार और समझदार वेद, उपनिषद पढ़कर,
सुख-समृद्धि की लगी भूख उसे ऐसी कि बन बैठा पागल,
अपने ही रहने के वास्ते काटे लकड़ियां और काटे जंगल भी,
अपना घर बनाया, दूसरों के घर उझेड़कर,
अब न रहा जंगली जानवरों के लिए घर,
वे उजाड़े बस्ती इंसानों की,
आज तक आदमी जानवर का शिकार कर मानता था खुद को बहादुर,
अब करें जानवर शिकार इंसानों का!
#पागल

Hindi Poem by Maitri Barbhaiya : 111434254
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