किसी भी खामोश बात पर मत जाओ पता नहीं वह बात खामोश क्यों है एक तूफान जलजला उसके पीछे तो नहीं यह ना हम जानते हैं ना आप जानते हैं इसलिए खामोश रहने वाली हर बात को गहराई से सोचें ब्रह्मदत्त
चर्चाओं में रहने का हमें कोई व्यक्तिगत शौक नहीं है पर हम मजबूर हो जाते हैं जब, हमारी हर एक बात पर ही चर्चा हो तो, फिर इसमें हमारा क्या दोष है, क्या कसूर है, कि हम चर्चाओं के बादशाह बनाएं जाएं,,,, ब्रह्मदत्त