Title:उदघोश
प्रकाश का ये उदघोश धरा पर
ऐ मानव कहता यही ये बारम्बार ।
निशा को तुम बस चलता करके
उठ कर खोलो नव तरुण दुआर ।
सिंहा अंधकार छट रहा देखों ये जाकर
लालिमा सुर्य की सजा रही अम्बर अपार।
तुम भी ले अगढाई ये आलस्य को त्यागो
भोर का रसपान कर करो ये स्फूर्ति संचार ।
@Ashish Raj..