Hindi Quote in Religious by ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

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आज मोहिनी एकादशी व्रत है जो आज कुछ जगहों पर मनाया जा रहा है और कुछ जगहों पर कल मनाया गया था ब्रह्मदत्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस साल पंचांग भेद होने से कुछ जगहों पर 3 मई और कुछ जगह 4 मई को ये व्रत किया जाएगा। मोहिनी एकादशी पर व्रत और दान के साथ ही भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। इस एकादशी का व्रत करने से हर तरह की परेशानियां और जाने-अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं। इस व्रत के दौरान कुछ बातों का खासतौर से ध्यान रखा जाता है।
क्यों कहा जाता है मोहिनी एकादशी
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा बताते हैं कि स्कंद पुराण के वैष्णवखंड अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से अमृत प्रकट हुआ था। इसके दूसरे दिन यानी द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। त्रयोदशी तिथि को भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृतपान करवाया था। इसके बाद चतुर्दशी तिथि को देव विरोधी दैत्यों का संहार किया और पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हुआ था।
क्या-क्या करें एकादशी पर
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं और स्नान के बाद तुलसी के पौधे में जल चढ़ाएं।
भगवान विष्णु के सामने व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए।
दिनभर कुछ नहीं खाना चाहिए। संभव न हो सके तो फलाहार कर सकते हैं।
दिन में मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर दान करना चाहिए।
किसी मंदिर में भोजन या अन्न का दान करना चाहिए।
सुबह-शाम तुलसी के पास घी का दीपक जलाना चाहिए और तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए।
शाम को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
क्या न करें
इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए।
गुस्सा न करें। घर में किसी भी तरह का वाद-विवाद या क्लेश करने से बचना चाहिए।
लहसुन-प्याज और अन्य तरह की तामसिक चीजों से बचना चाहिए।
किसी भी तरह का नशा न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
ईमानदारी से काम करना चाहिए और गलत कामों से बचे।
प्रस्तुति ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़

Hindi Religious by ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ : 111421479
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