देखा था एक ख़्वाब, आती थी मुस्कान लेकिन पता नहीं था क्या हो रहा है बढ़ जाती थी दिल की धड़कने अचानक खुल जाती थी आँखे रात के अंधेरे में.... राह देखती थी आँखे किसी अनजान की लेकिन पता नहीं था वो क्या है.... फिर भी अच्छा लगता था खो जाना ऐसे एक "में" थी एक "तु" मेरा ख़्वाब.... हकीकत बनके सामने आई "हमतुम" बनके जीत लिया जिया मेरा....