फटी जेब और पैसे
एक समय की सुपरस्टार ज़ीनत अमान बहुत समझदार थीं। उन्हें हिन्दू मुस्लिम ईसाई अभिभावकों के कारण सभी समुदायों की संस्कृति की आंतरिक समझ रही।
लेकिन भारत की इस पहली "मिस एशिया" को समझ में नहीं आता था कि उसकी फ़िल्में ज़बरदस्त बिज़नेस करती हैं फ़िर भी उसकी तारीफ़ नहीं होती। लोग उनसे नाराज़ ही बने रहते हैं।
इसका कारण ये था कि ज़ीनत ने अपनी पहली सफ़लता "हरे राम हरे कृष्ण" फ़िल्म में देवानंद की बहन बन कर "दम मारो दम" गाते हुए पाई थी। और बाद में वो ढेर सारी फ़िल्मों में उन्हीं देवानंद से इश्क़ लड़ाती नज़र आईं।
दर्शकों को ये रास नहीं आया कि जिस देश में महिलाएं मर्दों को नशा करने से रोकती हैं वहीं ज़ीनत ने खुलेआम दम मारने की पैरवी की, वो भी बहन बन कर!
हमारी फ़िल्मों में बहन का मतलब होता है चंद आंसू भरे दृश्य और राखी बांधती बहन, राखी न बांध पाती बहन, राखी बंधवाने के लिए पुलिस का पहरा तोड़ता भाई, राखी बंधवाने के बाद दुश्मन को भी माफ़ कर के गले लगाने वाला खलनायक!
यही कारण है कि हमारी फ़िल्मों में हीरोइन का मतलब है हर दर्शक की आभासी प्रेमिका।
लेकिन फ़िर भी हमारे कुछ साहसी हीरो ये रिस्क उठाकर भी कुछ मशहूर नायिकाओं के भाई बने।
अशोक कुमार वहीदा रहमान के भाई बने तो फ़िल्म का नाम ही "राखी" रखा गया। अमिताभ बच्चन सायरा बानो और यहां तक कि हेमा मालिनी के भाई बन गए, ये एक "गहरी चाल" थी। जीतेन्द्र पद्मिनी कोल्हापुरे के भाई बने। शाहरुख़ ख़ान जोश-जोश में ऐश्वर्या राय के भाई बने, तो ऋतिक रोशन ने करिश्मा कपूर के भाई बन कर फिज़ा बदल दी।
लेकिन भाई बनने का एक किस्सा तो बहुत मशहूर है। धर्मेंद्र का बदन ऐसा था कि उनकी हर हीरोइन उनसे प्रेम कर बैठती थी। फ़िल्म "फूल और पत्थर" सुपर हिट होने के बाद तो उनकी मीना कुमारी के साथ ऐसी जोड़ी बनी कि धर्मेन्द्र की शामें तन्हा मीना कुमारी के घर बीतने लगीं। लेकिन फ़िल्म "काजल" में मीना कुमारी के भाई बन जाने के बाद धर्मेन्द्र कभी फ़िर मीना के घर नहीं गए। रोज़ शाम को तन्हाई में शराब से अपने गम ग़लत करती मीना कुमारी को इस बात का पछतावा हमेशा रहा कि अब धर्मेन्द्र उनके घर का रुख क्यों नहीं करते?
मुमताज़ ने तो देवानंद की बहन बनने से साफ़ इनकार कर दिया पर नंदा फ़िल्म "काला बाज़ार" में देवानंद की बहन बनने के लिए केवल इसीलिए तैयार हुईं कि उन्हें बाद में किसी फ़िल्म में देव का हीरो बनाया जाएगा। देवानंद ने ये शर्त फ़िल्म "हम दोनों" और "तीन देवियां" में उनका हीरो बन कर पूरी की।
अपने समय की लोकप्रिय अभिनेत्री साधना की बात ही निराली है।
वो अपनी फ़िल्मों में चार - पांच बार बहन बनीं, पर वो हमेशा किसी और की नहीं, बल्कि ख़ुद अपनी ही बहन बनीं, "डबल रोल" करके। सचमुच, वो तो "मिस्ट्री गर्ल" ही थीं!