एक एक बूंद को तरस गए
सूखे पेड़, सूखी डारी
बंजर धरती,खाली कुवा
तरसे होठ वीरान आंखे
अगन बरसाता, खुला आसमान
ना फसल, ना जीवन की यारी
उलझी नजर, खोई आशा
बूढ़े, जवान, बच्चों सब की
एक ही मनोव्यथा
सबके दिल में उठ रहे है
सवालों की बौछार
क्यों कुदरत रूठी?
क्यों धरती वेरान?
कहा जाए हम?
किससे कहे हम?
भगवान ने ही नज़र फर ली
तो किसको बुलाए हम?
बार बार एक ही सवाल
क्यों पड़ा ये सूखा?
#દુકાળ