जल भी उज्जवल नभ थल उज्जवल, और वायु का कण कण उज्जवल है आज.....!
तो इस उजाले को किसने छीना था, क्या वो है एक शक्ति हीन पर खुद को विधाता माने इक अदना सा इंसान....!! ????
आज बैठा है अपने छोटे से दायरे में दुबककर, देख रहा है रोज इस उजाले की भोर....!!!
केवल अपनी जिंदगी को उजला बनाने दौड़ रहा था, ढकेल दिया था कुदरत को कालिख की ओर....!!!!
#उज्ज्वल