शेर
"शासन को एक शेर चुनना था।
ढेरों शेरों ने इंटरव्यू दिया। एक कैंडिडेट को देख इंटरव्यू बोर्ड ने कहा- तुम्हारी मूंछों से लोग डरेंगे। आवेदक शेर चुपचाप बाहर चला आया। दूसरे उम्मीदवार से कहा गया- ऐसे तेज़ दांतों से तो तुम किसी को भी कच्चा चबा डालोगे। वह भी नाउम्मीद हो गया। तीसरा आया तो बोर्ड ने कहा- ओह, इन पंजों से तुम किसी को ज़ख्मी कर सकते हो। वो भी मायूस हुआ।
अगले आवेदक को देख कर तो जैसे कक्ष हिल ही गया। लोग बोले- ऐसी छलांग तो अनर्थ कर देगी।
शेर आते गए। आख़िर इंटरव्यू ख़त्म हुआ।
जिस शेर का चयन हुआ लोग उसे बधाई देने और उससे हाथ मिलाने एकदम नज़दीक चले आए। उससे न तो किसी को डर लगा, न ही कोई ज़ख्मी हुआ, न उसने किसी को खाया,और न कोई अनर्थ ही हुआ।
उसे ताज पहनाया गया।"
वैताल ने ये कहानी सुना कर विक्रम से कहा- राजन, ज़िन्दगी में जब किसी सरकारी दौड़ या स्पर्धा में जाओ तो ये कहानी पढ़ कर ही जाना। और वैताल राजा के मौन तोड़ने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गया।