मनुष्य कर्म करता है और इसका फल भुगतता है
मनुष्य जैसे कर्म करता है
उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है अच्छे कर्मों का शुभफल
प्राप्त होता है और बुरे कर्मो का फल भी बुरा मिलता इस लिये कहा है जैसी करणी वैसी भरणी मनुष्य खुद सुख का कारण है और दुख का कारण भी मनुष्य खुद ही है
सुख और दुख मनुष्य के कर्मो के आधीन है अब आप सोच लो आप को कया चाहिए सुख या दुख फैसला तुम्हे करना है सत्कर्म करके सुख पाना है या बुरे कर्म करके दुख पाना है ये आपके हाथ में है तुम खुद अपने भाग्य के विधाता हो
Anil Mistri