My Sorrowful Poem...!!!
जाती थी नज़र 🧿 हमारी
खिड़की से जहाँ जहाँ तक
सुनसान राहों पर था बस
ग़मों का ख़ौफ़ज़दा साया
देखती भी गर हमारी नज़र
घर में टीवी पर ख़बरें तो भी
फैलाया जा रहा था हर एक
खबर से भी ख़ौफ़ज़दा साया
रुँहो से रुँहो की भी देखी नही
कभी इतनी नफ़रत-ओ-डर
या रब कैसा है यह तेरा शहर
हर रुँह बनी ख़ौफ़ज़दा साया
दाकतर नसँ पुलिस व हुकूमत
करते हैं दीन रात एक परवाह
जानों की किए बग़ैर लड़ते हैं
साये से जो है ख़ौफ़ज़दा साया
प्रभु करे कोई राह-ओ-डगर हो
नसीब मजबूर इन्सानी खोजीको
करे वार एक वेक्सीन दे मार बस
जड़ से जो इस ख़ौफ़ज़दा साया
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