कविता ..
फूलों की तरह खिलखिलाया करो ।
भंवरों की तरह नित गाया करो ।।
सुनहरे ख्वाबों को सजाया करो ।
सभी के दिल महकाया करो ।।
कठिनाईयाँ जीवन में आती रहेगी ।
बुर्द्धि से उसका हल निकाला करो ।।
मिट्टी के देह को न सजाया करो ।
परोपकार में इसे लगाया करो ।।
क्या लेकर आए हो ,क्या लेकर जावोगे ।
मुठ्ठी बांध कर आए हो ,हाथ पसारे जाओगे ।।
कुछ काम ऐसे करो ,लोग याद करें ।
तुम रहो न रहो ,लोक हमेशा याद करें ।।
किसी की कोई आरजु सजाया करो ।
मानव जीवन सफल बनाया करो ।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,अमदाबाद ।