My Painful Poem...!!!
शिकवा ना गिला अब किसी
को भी किसी से न रहा यारों
मसरूफ हैं अपनी अपनी
हिफाजत में सब आजकल
पलतें थे कभी जहां नफ़रतों
के शौंले भी इन्सानी दिलोंमें
दिलोदिमाग़ में अब बस गया
हैं कोरोना वाईरस आजकल
प्रभुजी की लीला भी है तो हैं
अपरंपार-ओ-बेमिसाल यारों
तुच्छता-ओ-उच्चता कभी नही
देखता यह कोरोना आजकल
प्रिंस चालसँ हो या पुतिन यह
जंतु नाम-ओ-पद से गाफ़िल
करता वार फेफड़ों के आरपार
देता घूँटन साँसों को आजकल
यह दहशतगर्दी की सीमाएँ तोड़ें
राजा-ओ-रंक कीसीको न छोड़े
मजबूर इन्सान क़ैद आशियानों
में अपने ही सिसकता आजकल
प्रभुजी सुना है आप जो भी करते
अच्छा ही करते हैं, पर्यावरण को
ऋतुचक्र को बेशक़ मिली नई जान
पर जाने कितनी जाने गई आजकल
दया-द्रष्टि कीजों कृपालु सर्जनहार
महान दयालु प्रभुजी जगत पालनहार
कोई तो होगा चहेता आपका जिसके
सदके मानव कल्याण कर दो आजकल
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