माँ तेरे पास रहता नहीं मैं। किसी से कुछ कहता नहीं मैं। अंदर ही अंदर टुटसा गया हुँ। अपने ही मन से रुठ सा गया हुँ। वक्त की ये ख़ामोशी तो देखो। आँसुओं से भिग़ती पलके तो देखो। कहते है वो खयाल नहीं रखते। माँ से बिछङने का मलाल नहीं रखते। क्या अपने कर्तव्य से मुँह फेर लिया मैंने। माँ ये अक्षम् गुन्हा किया मैंने।