My Surprising Poem...!!!
सुनसान सड़कें और घर में
आज पूरा परिवार देखा हैं
आज हमने बरसों बाद यारों
पहले वाला इतवार देखा हैं
आभार कोरोना वायरस का
घर 🏘 को बनते घर देखा हैं
आज ढाबे होटल गल्ले बंध हैं
पत्नि से पेश आते प्यार देखा हैं
गली मोहल्ले चौ-राहों नुक्कड़
पर पीटते राह-गुजर को देखा हैं
यारों प्रभु की लीला भी अजीब हैं
अमीर-ग़रीब की मीटते दरार देखा हैं
दोलत के वास्ते छोड़ा था वतन कभी
आज वतन की दोलत-व-खुमार देखा हैं
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