#विचार
कहते हैं महाभारत युद्ध में पिता द्रोणाचार्य के मारे जाने के बाद अश्वत्थामा ने पांडव सेना पर एक भयानक अस्त्र 'नारायण अस्त्र' छोड़ दिया, जिसका प्रतिकार असंभव था। इसकी विशेषता यह थी कि युद्ध के लिए तत्पर लोगों पर अग्नि बरसाकर उन्हें तुरंत नष्ट कर देता था।
ऐसी कठिन परिस्थिति में प्रभु श्रीकृष्ण जी ने पाडंव सेना को अपने अस्त्र-शस्त्र छोड़ कर, युद्ध रहित भावना के साथ शांति से हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया। परिणामतः समयानुसार 'नारायण अस्त्र' एक निश्चित समय के साथ प्रभावहीन हो गया और इस तरह पांडव सेना का बचाव हुआ।
की रक्षा हो गयी।
वस्तुतः वर्तमान में भी हमें प्रकृति के वर्तमान #कोरोना_प्रकोप से बचाव के लिए कुछ समय तक शांतिपूर्वक अपने गृह क्षेत्र में सीमित हो जाना चाहिए। यह कोरोना के दुष्प्रभाव के प्रसार से बचने का एकमात्र उपाय है।
🌞 🐚 ʝaï ֆɦʀɨ KŘ!ֆɦŇA 🐚🌞
/वीर/