नायक :
जाणवरो सी जिंदगी होती हमारी गर ज्योतीराव न होते
न पढने का अधिकार होता, न लिखने की जाणकारी
न किताबे होती, न ज्ञान, न स्कुल होते हमारे लिए l
न खुशियां होती, न अन्याय से लढने की हिम्मत l
आज महसूस करो अपनी ताकत जो उन्होने हमे दि है l
आवाज उठाओ जब भी अन्याय हो किसी पर, वरना
फिर से गुलामी मे जिना पडेगा, सदियों तक जैसे जी है l
झुटे है यहाँ सारे जाती और पंथ, इस पर लिखा उन्होने ग्रंथ,
नाम है उस्का "गुलामगिरी" और बताया है उसमे,
कैसे और किसने हम भाइयों को जातियो मे बाटा,
फिर कैसे हमारे बाजुंओ को छाटा, किस तरह उल्झया हमारे दिमाग को झुटे और मक्कार ग्रंथो मे, की शिक्षित होने पर भी सच्चाई से हम अपरिचित है l आज भी लिखे पढे है हम जो मक्कारो ने लिखा और हमारे शिक्षितो को बढाया l
गैरजीम्मेदार और भयानक स्वार्थी हो गये है आज हम,
भूल गये है अपने महापुरुषो को, और याद रखते है झुटे ढकोसले ! जन्मदिवस और यादगार दिन मनातें है, बस अखबार मे फोटो छपवाने के लिए, और एक बात याद नही रखते उनकी जीनकी याद मे मनातें है वो दिन l
थोडा बढो और पढाओ अपने बच्चो को सिखावो उन्हे समाज सुधारको के बारे मे और विश्वास न करना बिना समझे सोचे l
जय ज्योती जय क्रांती.....