मेरा चुप रहना, तेरे जहन में क्या बैठे गया..?
बहुत आवाज़े दी तुझे, अब गला बैठ गया..!
यूँ नहीं है कि सिर्फ आप मुझे चाहते हैं..
जो भी मेरी छाँव में आया बस बैठ गया..!
उनकी मर्ज़ी जो चाहे पास बैठे मेरे..
इसमें क्या लड़ना कोई और यहाँ बैठ गया..!
कितना मीठा लगा मेरा लहजे भरा गुस्सा उन्हें..?
जिन्हें भी जाने को कहाँ बस वो वही बैठ गया..!
CoPy