फाल्गुल की बयार चली
लो फिर आ गयी होली
रंग बिरंगी उड़ती तीतली
उड़ता गुलाल बनती चकली
घर-घर बजी ठपली
लो फिर आ गयी होली
नाचती और गाती ये टोली
हंसी के फव्वारे और कव्वाली
बसंत ऋतु ये मतवाली
लो फिर आ गयी होली
नींबू और आम की डाली
खूष्बु ने नींद उड़ा डाली
खिलते पलाश की डाली
लो फिर आ गयी होली
घर पर बजे चंग और थाली
नाचने लगे गली गली
यूं मुस्कराते चेहरे की लाली
लो फिर आ गयी होली
भूले जिसने शिकायत है पाली
बजा रहे है अब खुब ताली