नारी तू नारी ही बन क्यों नर बनने की दौड़ में पड़ी है ,
नर की छांव अच्छी है माना फिर भी तू उस से बड़ी है ।
तू अपनी पहचान बता ।
यू चलना चलते रहना ,धूप ,छाँव, दिन ,रात बहते रहना ।
खुशियों तुज से है इस संसार मे इस बात पर घोर कर ।
तू अपनी पहचान बता ।
है शक्तियों की शक्ति तू , हो जगदंबा महामाया काली तू ।
हाथ खड़क ललाट तेज धार त्रिलोचन को त्रिशूल कर ।
तू अपनी पहचान बता ।
इश अवतार नतमस्तक तेरा राम ,कृष्ण, भी करे सन्मान
राक्षसो का संहार करके अवनि का हृदय मंगल कर ।
तू अपनी पहचान बता....।
"हृदय"