तुम ने ढक रखी रखी थी इज़्ज़त कुछ इस कदर ,
हम ने दो शब्द कह दिए, ओर तुम बुरा मान गए।
न बेइज़्ज़त होने को न करने को ,
इज़्ज़त बढ़ाने को थे आए ।
कभीकबार यू हँसकर कह देता हूं में कूद से,
यू हँसा करो यार ,कम करोगे तो मरजाओगे।
हम देते हैं तो ले लो ना,
गाली नही इज़्ज़त है रखलोना।
इश्क़ क्यू तुजसे ? तो फिर ये इश्क़ ही नही ,
हृदय की अवनि खुली है बस जाओना।
"हृदय "