#Face
#चेहरा
चेहरे से व्यक्ति की पहचान होती है। पर दरअसल चेहरा दिल का दर्पण होते हैं। दिल के विभिन्न भाव चेहरे पर ही परिलक्षित होते हैं। बदलते वक्त और विभिन्न व्यक्ति के अनुरूप चेहरे भी बदलते हैं। एक शिशु का चेहरा कितना मासूम होता है बढ़ती उम्र चेहरे पर अपनी छाप छोड़ती जाती है। वक्त की लकीरें अपने हस्ताक्षर कर देती है। कुछ लोगों के कई चेहरे भी होते हैं जो वे अपनी सुविधानुसार उनका प्रदर्शन करते हैं। वैसे देखा जाए तो दिल सच्चा और चेहरा झूठा साबित होता है। अतः दिल को ही देखना चाहिए, चेहरा तो बस एक आडंबर है। कुछ लोग दूसरों के चेहरे से ही प्यार कर बैठते हैं और छले जाते हैं । चेहरा गोल, लंबोदर,चौकोर या फिर गोरा काला साँवला हो सकता हैं, छलिया होता है ये चेहरा जो अपनी असलियत छुपा लेता है। कुछ दिल के सच्चे लोग अपनी मासूमियत सहेज सच्चे बादशाह होते हैं, उनके चेहरे से नूर टपकती है।
जरूरी है दिल की मासूमियत को सहेजने की ताकि चेहरे पर छल कपट प्रपंच धोखे की छाया न उभरे क्योंकि चेहरा तो एक तरह हमारा पता है हमारी पहचान है।