मूवी रिव्यु
सुबह मंगल ज्यादा सावधान
विषय हमलोगो के लिए एक तरह से अनजाना और टैबू रहा है सो जानकारी भी कम ही है।
तो बात करे मूवी की, इसका मुख्य आकर्षण इसके कलाकार हैं। इस टीम ने हाल फ़िलहाल में छोटे शहरों के मध्यम वर्ग की बिलकुल आम सी बातों को हलकी फुल्की ढंग से हमारा खूब मनोरंजन कर चुकी है।
यहां किरदार किसी तरह के अपराधबोध से ग्रसित नहीं हैं। फिल्म हास्य से ज्यादा व्यंग्य परोसती है और ये व्यंग्य मुख्य कलाकारों को साथी कलाकारों से मिलने वाली प्रतिक्रिया से उपजता है। पूरी फिल्म में 'समलैंगिता' से जुड़े शब्द, एंजाइम, हॉर्मोन और कानून की चर्चा होती रहती है। पटकथा थोड़ी और चुस्त होती तो मज़ा आता।
मैं मूढ़ जड़मति अपनी पहले से कंडिशन्ड माइंड को ले उतना एन्जॉय नहीं कर सकी जितना हॉल में अन्य लोग कर रहें थें।
पर शुतुर्मुर्ग बनने से सच छुप तो नहीं जाता, एक निषिद्ध विषय पर काम कर आयुष्यमान ने अपनी लकीर को और लम्बी ही की है। फिल्म और लोगो को जरूर पसंद आएगी अपने हास्य-व्यंग्य और दमदार टीम की वजह से।