My New Poem ...!!!
यारों चलो आज हम कुछ नया-सा करते हैं
चलो हम ग़मों में भी मुस्कुरा कर देखते हैं
जीदगीं को ही हंस के थोड़ा तो चिड़ाते है
ज़ालिम उलझने तो कभी ख़त्म नहीं होगी
चलो आज उलझनोंका भी हम मज़ा लेते हैं
गर दर्द ही दवा जन जाए तो क्या बात हैं
चलो दर्द को दिल से हंस के अपनाते हैं
रो-कर तो दर्द सब यहाँ झेलते आए हैं
चलो आज हंस कर ही इसे गले लगाते हैं
ज़ख़्म दिलके भी तो नासूर-से कुछ होते हैं
चलो दिलके नश्तरसे ही ज़ख़्मों को हराते हैं
यारों बर्दाश्तकी इब्तिदा तो देखी हैं सबने
चलो आज बर्दाश्त की ईमँतेहा देखते हैं
प्रभु ने बनाएँ दर्द-ओ-ख़ुशी तो साथ साथ
चलो आज दर्द में भी ख़ुश हों कर देखते हैं
यारों चलो आज हम कुछ नया-सा करते हैं
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