प्रभाकर की प्रथम आभा से
उदीयमान होती है उम्मीद की किरण ।
जो अंधकार और निराशा का गर्भ चीर कर ,
आदित्य करे हमारी मानस का अर्णव ।
साहस के दीप जला ,
देता है हमारे विमनस्क अंतरकरण को नवीन पहल ।
आत्मविश्वास भर हमारे मन में ,
प्रेरित करे हमें अपने लक्ष्य की ओर ll