वक्त और बेवक्त की बात है ,
जो सांझे खड़े हो तो हर स्वाद भी बेस्वान है l
वक्त की बात है , नसीब का साथ है ,
नक्षत्र भी इसके हमराज है
तो रंक भी राजा है ,हर ऐशो आराम है ,
हर मुश्किल का समाधान है l
अगर बेवक्त की बात है तो वक्त ही खराब है ,
तो दोष ही नसीब का है , या जमाना खराब है l
बेवक्त वो वक्त होता है ,
जिसमें हर मुश्किल का कोई अंत नहीं होता है ,
पंडित और मौलवी के पास भी कोई समाधान नहीं है ,
हर समय विवाद का घेरा है ।
वक्त और बेवक्त की बात है ,
इस विवाद का कोई आधार नहीं है ।
एक समझौता है , जिंदगी का इंसान से ,
जो तोलती है इंसान को वक्त और बेवक्त के तराजू मे ।।