कविता का शीर्षक:-युवा
युवा!
युवा मत समझों खुद को लाचार,बेकार तुम्हारा सामर्थ्य
शक्ति अतुलनीय है।
युवा!
युवा तुम में वो सामर्थ्य है
जिसके सामने
हिमालय भी बौना प्रतीत होता है
युवा!
युवा तुम
खुद का हुनर पहचानो
अगर तेरा हुनर छिप गया
तू न छपेगा अखबारों में
युवा!
युवा तू बना मंजिल
और रह लक्ष्य के प्रति अटल
सफलता तेरे कदमों पर
नतमस्तक होगी
बस खुद की हुनर पहचानो
युवा!
युवा तुम में वो शक्ति है
की ....आसमां के तारे तोड़
जमीं पर ला सकते हो
बस खुद का आत्मविश्वास बढ़ाओ
युवा!
युवा मत होना कमजोर
किसी मोड़ पर
तेरी कमजोरी तुझे
मंजिल तक नहीं पहुंचा सकती है
युवा!
युवा जीवन में आएँगे
अनेक दुख के अँधीयारें
कर तू हिम्मत
और हौसले से
उन अँधीयारें को दूर
युवा!
युवा तू होगा सफल
निश्चत ही
बस बना मंजिल का रास्ता
और लग जा कार्य में
©कुमार संदीप
स्वरचित
ग्राम-सिमरा
जिला-मुजफ्फरपुर
अंचल-बंदरा
राज्य-बिहार