मैं सैनिक हूँ
माँ की ममता की
छाँव से दूर
बहुत दूर आया हूँ
पिता जी के प्यार से
बहुत दूर
कोसों दूर
सैनिक बन
देश की रक्षा करने
आया हूँ
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे
इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूँगा।
कंपकपाती ठंड में
बिना परवाह किए
देश की रक्षा के लिए
सरहद पर खड़ा हूँ
ओलों की बौछार हो
या हो पसीने से भीगा
पूरा बदन
फिर भी रहता हूँ डटा
देश की रक्षा में
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूँगा।
अपनों से बहुत दूर
अपनों की यादों को
दिल में संजोए हूँ,
आखिर मैं भी तो इंसान हूँ
अपनों से मिलने की
ख़्वाहिश मैं भी रखता हूँ
पर मेरे लिए
देश की रक्षा ही
मेरा दायित्व है
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस तक
वतन की रक्षा करूँगा।
मन बहुत दुखी होता है
जब सैनिकों के शौर्य पर
लोग प्रश्न उठाते हैं
मेरा तो हर पल हर क्षण
देश के लिए है
न्योछावर हूँ राष्ट्र पर
राष्ट्र के प्रति
प्रेम समाया हुआ है
हाँ मैं सैनिक हूँ,
है सौगंध मुझे इस मिट्टी की
अंतिम साँस
तक वतन की रक्षा करूँगा।
©कुमार संदीप
स्वरचित
जिला-मुजफ्फरपुर
राज्य-बिहार
इमेल- worldsandeepmishra002@gmail.com