My New Poem....!!!!!
बादशाहों की अना पल में मिटा देता है,
छीन कर ताज वो कांसा भी थमा देता है,
आज़माता वो मुफ़लिसी में अमीरी में भी
इन्साफ़-परस्त बर्बाद हो के बता देते हैं,
पर ईमान को हरगिज़ बिकने नहीं देते हैं,
पर जो जहाँ-परस्त ख़ुदा ख़ुद को समजते
खेल अब खत्म है ये सबको बता देता हैं,
जब वो मिट्टी को मिट्टी में ही मिला देता है।
✍️🌴🥀🌲🌺🙏🌺🌲🥀🌴✍️