शर्माना मत संभाल के रखना कहता हूं वो बात,
सच कह दु !? यकीन हो ! तुम मेरा सुकून हो ।
बेपनाह के साथ बेवज़ह भी है ये ख्वाब मेरा ,
मतलब कह दु ? विश्वास हो ! तुम मेरा श्वास हो ।
तम्मना को रोक के रख कर करता हु तुज से मुलाक़ात,
हशरत कह दु ? तीर्थ हो !तुम मेरा स्मरण हो ।
भाव अभाव जैसा कुछ भी नही स्वभाव हो गया ,
अवनि कह दु ? ईश्वर हो ! तुम मेरा "हृदय" हो ।
" हृदय "