इतना मुश्किल भी नहीं,
आसमान को छूना !!
बस इसके लिए,
ऊपर उठना बाकी है !!
ढृड़ संकल्प, ढृड़ निश्चा
मेहनत और लगन से,
काम करना बाकी है !!
अरे रुकावटे, कहाँ नहीं आती
बस मुसीबतों से,
संघर्ष करना बाकी है !!
"अलग" एक दिन मंजिल,
मिल ही जाएगी !!
बस मंजिल की
उम्मीद रखना बाकी है !!
-Sukhbir Singh Alagh