My Republic Day Poem ...!!!
कुल्हड़ में चाय पीने का एक
नायाब फायदा यह भी है कि
हम इसी बहाने चूम लेते हैं,
देश की मिट्टी जाने अनजाने में
मिट्टी से भले ही बने हो हम पर
गलती से भी ना जाने ये ख़ज़ाने
कच्ची मिट्टी रौंद उलट पलट
कर पिटती फ़िर पकती भट्ठी में
कुंभार के हाथों सँवरती सजती
मुकम्मल रुप पाती उस दस्तानों में
इतना पक्के जब पहुँचतीं बाज़ार में
देती बेकार-सी मिट्टी मुनाफ़ा ब्योपार में
वैसे तो पागल 😈 ही उसे कहोगे जो
गंवार पीता चाय 🍵 प्यारसे कुल्हड़ में
पर गर बदल जाए नज़र तो बदलते हैं
नज़ारे भी पीता चाय जो 🍵 कुल्हड़ में
गंवार वह इसी बहाने चूम लेता हैं,
देश की मिट्टी बड़े प्यार से जाने अनजाने में
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