"झूठी थी तुम!"
इश्क़ हमेशा एक शक्स से किया जाता है,
मगर जो इश्क़ किसी शक्स की खूबसूरती या
कामयाबी देखकर किया जाये......
वो इश्क़, इश्क़ नहीं महज़ एक सौदा है !
तुम्हारा इश्क़ - तुम्हारी तड़प - तुम्हारी यादें और
तुम्हारी हर आहें मे फरेब भरा हुआ था, जो शायद
एक झूठ था और महज़ यह झूठ मुझे भटकाने
के लिए काफी था !
अब मैं किसी का होकर भी किसी दुसरे शक्स का
हो नहीं पा रहा क्योंकि पुरानी यादें इंसान को इतना कमज़ोर बना देती हैं इंसान उन्हीं यादों के अंधेरों में खो
जाता है, शायद सारी दुनिया उसे फरेबी दिखाई देती है ।
वैसे भी इतनी तड़प और घुटन के बावजूद भी वो
खामोशी के समन्दर में डूबने लगता है, दुबारा वही गलती
करने की कोशिश भी नहीं करता है ।
"जय"