देशका कतरा कतरा लहू का,
बदला लेगा हर वो बेटी और बहू का !
लक्ष्मी हो या निर्भया,
हर घरकी है वो आत्मजा !
जवान बचाए सीमा देश की,
बेटा सँभाले गरिमा घर की !
हर बेटी बने खूँखार,
जब इज़्ज़त पे आए प्रहार !
काट के रख देगी अब वो,
नापाक इरादों की पतवार !
हर आदमी जब सर उठाएगा,
कमज़ोर न्यायतंत्रसे भी आतंक बच न पाएगा !
बद इरादों को कर फ़तेह...Nidhi
एक औऱ तिरंगा सर उठाके लहराएगा !!!